आज उलझने दो सांसों को सांसों से।
देख लो नजारों को तुम मेरी आँखों से।
मत रोको मुझे, बहक जाने दो आज ,
भीग जाने दो मुझको इन बौछारों से।
इतने गहरे उतर जाने दे रूह में अपनी,
मैं खुद को जब पहचानू तेरे इशारों से।
अपने बदन की खुश्बू मुझमें उड़ेल दो,
मैं बेअसर हो जाऊँ फूलों के झांसों से।
हर एक अदा मुझे सौ बार दिखाओ,
सजा के रख लूँ इन्हें दिल में नाजों से।
तेरी बाहों में हम ऐसे सो जायें 'कुमार',
अब नींद उचटने ना पाये आवाजों से।
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