हँसते हुए चेहरों के पीछे,
गम की छुपी दुकान है ।
भौतिकता के महापंक में,
जीवन का पंकज म्लान है।
दिखती यही तस्वीर है ,
ये आज का इंसान है ।
इंसानियत का चोला ओढ़े,
अंदर से तो ये शैतान है ।
वृत्तियाँ हैं सब दुराचारी सी,
हाथों में गीता और कुरान है।
झूठी नैतिकता का पुतला,
ये आज का इंसान है ।
अभिमान पद पैसे का देखो,
चेहरे पर कुटिल मुस्कान है।
रिश्तों में सौदेबाजी करता ,
धर्म से हिन्दू न मुसलमान है।
हो सके तो समझ जाओ ,
ये आज का इंसान है ।
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