Monday, July 24, 2017

आज का इंसान

हँसते   हुए   चेहरों   के पीछे,
गम   की   छुपी   दुकान   है ।
भौतिकता   के   महापंक   में,
जीवन  का  पंकज  म्लान  है।
दिखती    यही   तस्वीर    है ,
ये   आज    का    इंसान   है ।

इंसानियत  का  चोला  ओढ़े,
अंदर  से  तो  ये  शैतान  है ।
वृत्तियाँ  हैं  सब दुराचारी सी,
हाथों में गीता और कुरान है।
झूठी  नैतिकता  का   पुतला,
ये   आज   का   इंसान    है ।

अभिमान  पद  पैसे का देखो,
चेहरे पर कुटिल मुस्कान  है।
रिश्तों में  सौदेबाजी  करता ,
धर्म से हिन्दू न मुसलमान है।
हो   सके  तो  समझ  जाओ ,
ये   आज    का   इंसान    है ।

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