Monday, September 25, 2017

सच कौन बतायेगा ?

इन  बीहड़ों  में  भला  अपना  घर  कौन बनायेगा ?
अगर  हम भी नही रहे तो यहाँ  दिल कौन लगायेगा ?

घर से बाहर कर दिया है जो तुमने घर के बुज़ुर्गों को ,
तुम्हारे दिलों में संस्कार की नई पौध कौन उगायेगा ?

मरालों  के  पंख  कुतर  कर  उन्हें  बगुला  बना दिया,
नीर क्षीर  का  सहज भेद  फिर  यहाँ  कौन बतायेगा ?

घरों में कैद कर रखा है जो तुमने नारियों को ही,
उनके बच्चों में फिर उड़ान का जोश कौन जगायेगा ?

अपने  ही  जब शामिल  हो बस्तियाँ  जलाने वालों में,
तो इन उजड़े हुये आशियानों को भला कौन सजायेगा ?

तुम  लूटते  हो  और  हम  हैं  बेबस से लुटने वालों में,
अगर तुम भी पराये हो गये तो अपना कौन रह जायेगा ?

आइनों पर कभी हमने भरोसा ही नही किया है  'कुमार',
तुम्हारी आँखें भी झूठ बोलने लगी तो सच कौन बतायेगा ?

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