तुझे भूल गया हूँ,ये खबर महज़ अफवाह है।
सच तो ये है , तेरी यादों में ही मेरी पनाह है।
हकीकत क्या है ,ये जानकर करोगे ही क्या ,
धूल है जिस पर वो आइना नही निगाह है।
सफ़ेद लिबास में जो लिपटा हुआ है जमाना ,
हक़ीकत में तो इसका ज़मीर बड़ा स्याह है।
आपस में बाँट ली तुमने तारों की जमात को ,
मगर सोचा है, ये रात की नजर में गुनाह है।
बेबसों को अपने खंज़र का हुनर दिखाते हो,
तुम शायद भूल जाते हो,उनके पास आह है।
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