Monday, September 25, 2017

खुद को सताये जा रहें हैं!

आजकल हम  खुद  ही  खुद को सताये जा रहे हैं ।
मुस्कुराहट की आड़ में ग़म को छिपाये जा रहे हैं ।

कोई नही है जिससे अपने दिल की बात कह लेता,
खुद को ही अपना हाल ए दिल सुनाये जा रहे हैं ।

सारी रात हमने करवटें बदलकर गुजारी है मगर,
उनके जगाने पर नींद का स्वांग रचाये जा रहे हैं ।

कोई और कहने वाला हो तो सच भी झूठ लगता है,
आजकल एक झूठ को हम सच बताये जा रहे हैं ।

इन आँसुओं का मुझसे कोई वास्ता नही है  'कुमार'
गैर हो चुके एक शख़्स के लिये इन्हें बहाये जा रहे हैं ।

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