हिन्दी चौराहा
हिन्दी के दौड़ते भागते विचारों का चौराहा .......
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Monday, September 25, 2017
मेरा हाल पूँछा
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आज उन्होंने हँसकर मेरा हाल पूँछा। झुकी नजरों ने मुझसे इक सवाल पूँछा। जिसका जवाब हम उनसे चाहते थे, उन्होंने उसी सवाल का जवाब ...
अफ़वाह
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तुझे भूल गया हूँ,ये खबर महज़ अफवाह है। सच तो ये है , तेरी यादों में ही मेरी पनाह है। हकीकत क्या है ,ये जानकर करोगे ही क्या , धूल है जिस...
चलता ही गया
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खामोशियों की उंगली थाम मैं बढ़ता ही गया। मंज़िल पता न थी फ़िर भी मैं चलता ही गया। उसके हसीन फरेबों ने अहसास न होने दिया, मैं बेख़बर रहा...
सच कौन बतायेगा ?
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इन बीहड़ों में भला अपना घर कौन बनायेगा ? अगर हम भी नही रहे तो यहाँ दिल कौन लगायेगा ? घर से बाहर कर दिया है जो तुमने घर के बुज़ुर्गों...
बहक जाने दो
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आज उलझने दो सांसों को सांसों से। देख लो नजारों को तुम मेरी आँखों से। मत रोको मुझे, बहक जाने दो आज , भीग जाने दो मुझको इन बौछारों ...
बरखा
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कहीं प्यासी मरुभूमि, तो कहीं फूस के छप्पर। कहीं मुलायम पात, कहीं कोमल गात पर। फुनगियों को चूमती, जी भर दुलार करती। अँधेरी बँसवार में,...
वादा सावन का
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घिरते काले मेघ जब जब, चित्त में कुछ कौंध जाता है। एक अनजानी सी दस्तक, मन सहसा चौंक जाता है। दामिनी खींच देती है जैसे, काले बाद...
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