जब भी वो हमारी ज़ानिब नजर करते हैं।
हम क्या बतायें की कैसे सबर करते हैं।
मुस्कुराने से उनके कौंध जाती है बिजली,
वो पाँव की महावर से सहर करते हैं।
गजरे की सुवास से सहर की नसीम महके,
खुले गेसू तो रात के आने की खबर करते हैं।
उठे जो नजरें तो नज़ारे थम जायें ,
खुले जो लब तो सरगम सा असर करते हैं।
बेवजह भी होती है इनायत ख़ुदा की ,
पता चला है 'कुमार' वो मेरी फिकर करते हैं।
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